इंतज़ार

इंतज़ार तो है तुम्हारा आज भी, मगर मेरे ख्वाबो ने है रोका..! तकलीफ़ होती है आज भी, मगर जूनून है खुद मे, कि मेरे ख्वाबो को कर सकूंगा पुरे..!  वो दुबारा भले कभी वापस आये न आये, कि वो दुबारा भले कभी वापस आये न  आये.!  मगर मेरे ख्वाब तो जरुर होंगे पुरे, मगर मेरे…

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जय हो तुहर नेट

जय हो तुहर नेट जय, मोबाईल के जमाना हे..! नेट चलत है अब्ब्ड तेज, अउ ए जमाना म होगे तेहा लेट..! आठो काल बारो महिना, आसाड सावन भादो चलावत हस तेहा नेट, अउ भले डिप्टी म जाये बर होगे तेहा लेट..! अउ जय हो तुहर नेट, अउ जय हो तुहर नेट..! जय जोहार जय छत्तीसगढ़..!…

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गरम करे बर आगी बनाये

गरम करे बर आगी बनाये, अउ जुड करे बर पानी, बरसे बर बनाये बादर, भार सहे बर भुइया आगर्, करम करे बर दिन गढे तै, सुरताये बर अंधियारी रात, नर नारी देव गढ डारे, अउ किसम-किसम के जात्, कोनो बने हे अन्धरा तोर घर्, कोनो खोड़वा कोनो कोन्दा, राम बने हे तोर खेवईया, नहकावे सब्र…

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पिता

लोग कहते है पापा बड़े गुस्से वाले होते है, पापा का दर्द जो है, किसी को समझ नी आता, हमारी खुशी के लिए वो रोज सुबह से उठ जाते है, बिना किसी से कहे चुप चाप से रहते है, दिल मे कितना भी दर्द हो कभी ज़ाहिर तक नहीं करते है, आपकी सारी जरूरतों को…

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लंबी सी दूरियाँ

तुमसे यूँ जब बिछड़े थे तो चेहरे पर मायुसी थी, तुम्हारे चले जाने के बाद न दिन प्यारी और ना रात प्यारी थीं..! बस हर जगह सिर्फ और सर्फ तुम्हारी ही यादें थी, बचपन की वो यादें जो मैंने नहीं बिताई आपके साथ, याद है मुझे अभी भी वो आपकी और मेरी पहली मुलाकात, जब…

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हरियाली तिहार

हरियाली तिहार…! चढो गेड़ी, खेलो फुकडी, अउ भौरा बांटी…! हमर संस्कृति हमर गौरब, पूजनीय हमर माटी नागर,बइला, गैती, रापा, अउ कुदारी …! हरेली तिहार म रंगे है, छत्तीसगढ़ महतारी ..! जम्मो सँगवारी मन ल छत्तीसगढ़ के पहली तिहार हरियाली के गाड़ा गाड़ा बधाई हरियाली तिहार…! (The poem is written in a regional language called Chhattisgarhi…

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माँ.!..

माँ.!.. मेरी ओर जब ये तेरे नन्हे कदम चले आते है.!.. माँ सुनने को मेरे कान तरस से जाते है .!… तेरी एक मुस्कान पर सारा जहां कुर्बान कर दु.!.. तेरे लिए पूरी कायनात से लड़ जाऊं.!.. जब ये तेरे नन्हे कदम मेरी ओर चले आते है.!… माँ सुनने को मेरे जान तरस से जाते…

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ख़ामोशी.!…

ख़ामोशी.!…. दिल से दिल तक पहुँचती है प्यार की ये बातें.!… न जाने कैसे होती है वो पहली मुलाकाते.!.. जो कभी किसी से नही हुआ वो आज होने लगा है.!.. दिल से दिल तक प्यार का रास्ता खुलने लगा है.!.. आने वाले ने तो बिना बोले ही अपनी जगह बना ली इस दिल में.!.. लेकिन…

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आंसू…

आंसू गम  मायूसी अब तो बस “वक़्त” का साया हूँ l    शहादत की होली, “खून” से खेल कर आया हूँ l        आसूं मत बहाना           माँ•••             माँ•••   रंगों का त्यौहार था, इस लिए तिरंगे से लिपट कर आया हूँ l शहीद वीरो आपकी…

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