पैसा

पैसा

पैसा  बहत छोटा सा शब्द है  बोलने  के  लिए , लेकिन यह वही  पैसा है  जो पापा ने  पैदल चलकर बचाया ताकि मेरी tuition  की fees  भर सकें ।

अरे ! आज भी पापा  का वो कुर्ता  जो उन्होंने  कितने  सालों पहले  खरीदा था। जब मैं ने पूछा  तो कहा “जब पैसे आएंगे तब नई ले लेंगें ।  अभी यही अच्छा  है ।

कल राशन वाले  को पैसे देने हैं ।” मम्मी से  मैं ने कहा और थोड़ी देर बाद मम्मी को गुल्लक फोड़ते देखा , जिससे निकला शक्तिमान पैसा जो मम्मी ने न जाने कैसे -कैसे कर के जोड़ा था। 

खैर,  यह सब तो मेरे  घर की बात थी, लेकिन पैसा सिर्फ मेरे लिए नहीं, अपितु हर उस व्यक्ति के लिए पैसा सिर्फ लिखने में ही छोटा है जो इसकी अहमियत जानता है । क्योंकि  उनके जीवन में तो वो एक जीवन दाता  के रूप में भागीदारी निभाता है।  

लेकिन , यह जानकर अत्यंत दुःख होता है कि  आज के समय में भी लोग महज इसे सिर्फ पैसा ही समझते हैं ।  

और युवा  पीढ़ी  के लिए यह सिर्फ खुशियाँ पाने की एक चाबी है। जिसे शायद अंदाज़ा भी नही है कि इसे पाई-पाई करके ऐसे  बचाया जाता है।  और कैसे कमाया जाता है । आज के युवा शायद इस बात से बेखबर हैं कि माता-पिता किन-किन मुश्किलों से हो कर गुजरते हैं।   और किन-किन तकलीफों का सामना करके उनकी खुशियों की चाबी, पैसा कमाते हैं।  जो उन्हें खुशियाँ व संतुष्टि देता है। लेकिन शायद वो दर्द छिपा देते हैं जो उनके माता-पिता को इससे मिलता है।  

यूँ  तो हर माता-पिता की इच्छाएँ  होती है।  लेकिन ये पैसा उनके सभी इच्छाओं को छिपा देता है।  

 

इसीलिए ही तो कहते हैं।  कितना  बलशाली होता है,  केवल सिर्फ एक पैसा।

 

—–Bhoomika 

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