कुछ तो करना होगा।
इस जहां को उचाईयों पर ले जाने ,
धूप और छाव को हराना होगा।
हमे एक ,दो आसमान ओर चढ़ना होगा,
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा।।
इस जहां के मौसम को,
शुहाना बनाना होगा।
कुछ अपनी शाम ,
इनके नाम करना होगा।
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा।।
खुद से जंग लड़ना है हमे ,
ओर खुद से जितना भी होगा।
बड़ी मुश्किल है इस दौर में खुद से लड़ना पर,
कुछ तो करना होगा।
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा।।
अगर कुछ ऐसे बदलना होगा ,
इस दुनिया को ।
तो हर ख्वाब को हमारा ,
बेलगाम होना होगा।
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा।।
जन्म तो अनिश्चित है पर ,
मित्यु का कड़वा सच तो लेना होगा।
और इस जन्म मित्यू के बीच
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा ।।
हाँ हमे! कुछ तो करना होगा ।।
भुपेश टिकरिहा
Bhupesh Tikariha is a student of Engineering in GEC Bilaspur, Chhattisgarh. He is a team leader, a speaker and a writer.
4 Comments
Leave a Comment
Recent Post
Post Category
Archive
Shabd
It is a platform for poets and writers to share their talent with the world. Shabd provides space to poems, stories, articles, shayaris, and research articles. If you want to post, please log in first; after that, you will see the 'User Submitted Post' icon in the header, which you can click to submit your post.
You are the motivator that you have always been Bhupesh. Even your poem speaks the same.
I learned a lot from your blessings and your guidance: I thank you very much mam?
Very Nice Bhupesh… I appreciated???.
continue