Posts by Girja Shankar
अक्ति
ए अक्ति के झडी म मोर मया कहूं बुढ झन जाए..! अउ मोला तो संसो होगे हे संगी, मोर सुख दुख के साथी, कहूं उड झन जाये…!
Read Moreआपकी तारीफ़ में
अब क्या कहें आपकी तारीफ़ में, कहने के लिए लफ्ज़ों की कमी है…! और अगर करें भी आपकी तारीफ़ तो, हमारे पास शब्दों की कमी है..! शायद ऊपर वाले ने आपको, है, बड़ी फ़ुर्सत में बनाया…! वर्ना ख़ुदा ने तो कुछ लोगों को, है, अधुरा सा बनाया…! ये कैसी है ऊपर वाले की माया,…
Read Moreकि तेरे नाम कर दुँ
क्या कहूँ तुम्हारी तारीफ़ में मैं, कि हर एक साँस तेरे नाम कर दुँ..! साँस ही नहीं मैं तो अपनी ज़िन्दगी भी तेरे नाम कर दुँ…! कि इस कदर खोए हैं तुम्हारे प्यार में, कि इस कदर खोए हैं तुम्हारे प्यार में..! कि मैं तो अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा भी तेरे नाम कर दुँ,…
Read Moreउड़ान
बादलों से भी ऊंची है, परिंदो की उड़ान भी…! उड़ चले पंख लगा के, और नाप रहे सारा आसमान है..! जमीं को तो देखा है हमेशा हमनें, अब तो बारी आसमान की है…! पंख लगा के उड़ चले हम, क्योंकि बादलों से भी ऊंची, हमारी उड़ान है…!
Read Moreमुसाफ़िर
राह चलते मुसाफ़िरों से, पुछो राह की तकलीफें…! कितने भूखे कितने प्यासे हैं, राह में चलते मुसाफ़िर हैं…! कोई नंगे पैर है तो, किसी के पैरों में छाले…! ना किसी का पता है, और ना किसी का कोई सहारा…! बस चलते रहते हैं, अपनी राहों में….! यूँ रमता जोगी, बहता पानी बनके…! …
Read Moreपता ही न चला
पता ही न चला, कि कब हम ; कामयाबी की राह में, फ़िर से निकल पड़ें…! राहों में आई बहुत सी रुकावटें, फ़िर भी हमारे पैर नहीं रुके…! जब जब लगा कि हैं हम ; अपनी मंजिल के करीब, तब तब अपनी राहों से भटकने लगे…! लेकिन मिला न कोई ऐसा, जो राह में साथ…
Read Moreजुदा
तोर से जुदा होके भी मे हा तोर से जुदा नई हो सकत हो..! तोर जाये के बाद भी मे हा, काकरो नई हो पात हो..!
Read Moreकि तुम आसमाँ छूने लगे हो
कि तुम आसमाँ छूने लगे हो जब टुट जाओ तो हताश ना हो, और जब तुम असफ़ल हो तो निराश ना हो..! और जब साथ ना हो, कोई तुम्हारे, तो भरोशा रखना खुद की कोशिश पर, और एक नयी शुरूवात करना…! सफ़ल हो जाओगे तुम एक दिन, बस तुम खुद की कोशिशो मे कमी ना…
Read Moreउदासी..
उदासी के कारण हैं बहुत, कोई तो मुस्कुराने की वजह ही बता दो..! आँखो से बहने लगी है आँसू की बूँदे, कोई तो इसे रोकने की दवा ही बता दो…! और जख्म इतना गहरा है कि, कोई जीने की वजह ही बता दो…! हम तो खुद से टुट चुके हैं अंदर से ही, कोई इसे…
Read Moreकाश
काश मै भी कोई कविता होता, कोई कवि मुझे भी रचता..! जो नये रंगो मे रंगता, रोज नये फ़ुलो मे खिलता..! नये नये शब्दो से मिलकर, रोज रोज काया मे रचता…! काश मै भी कोई कविता होता, कोई कवि मुझे भी रचता…!
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