कुछ सवाल हैं

कुछ सवाल हैं, तुम उनके जवाब दे पाओगी क्या ? तुम्हे जाना नहीं अब तक कुछ अपने बारे में बोल पाओगी क्या ? हां लाख होंगे चाहने वाले तुम्हारे… कुछ मुझसे बेहतर भी। कुछ दिल के करीब हैं… कुछ पास होंगे दूर रहकर भी। पर ज़रा खुद से पूछना के कोई है ऐसा जो मेरी…

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आज ये कागज खाली है by K. Pratik

आज ये कागज खाली है कलम , ज़ज़्बात और दवात सब मीरे रखे उसी जगह हैं अब भी। मुलाक़ात, बात और भीनी रात भूला नही कुछ, याद है सबकुछ अब भी… पर क्यों आज चन्द लकीरों के पन्ने भर नही पा रहा… क्यूँ कुछ लिखने के पहले हर मतर्बा खुद को मैं शून्य पा रहा।…

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अनभिज्ञ by K. Pratik

ये कैसा सिलसिला है, किस बात का गिला है। आंखे क्यूं नम हैं, जो हुआ ही नहीं उस बात का क्यूं गम है… क्यूं किसी से नज़रे मिला नहीं पाता मैं,क्यूं किसी को अपना दर्द बता नहीं पाता मैं… क्यूं खुद में खोया रहता हूं तलाश में निकलता नहीं… मृत जैसा लगता हूं पर लाश…

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