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Pyaare Papa!
मनीषा साहू एक कवित्री हैं। उनकी कविताओं में भाव खिल कर बिखरते हैं । मनीषा की कविताओं में जीवन के अनेकों रिश्तों की छवि बड़े ही सुंदरता से सजती है। इस कविता में मनीषा ने “पिता” के स्वरुप को पुरे आदर और सम्मान के साथ बयां किया है ।
Read MoreMere Papa!
ना बोलते ज़्यादा, ना जताते प्यार, पर उनकी आँखों में बसी थी हमारी बहार। थकते थे रोज़, फिर भी मुस्कराते थे, हमारी खुशी के लिए खुद को भूल जाते थे। जेब में सिक्के कम थे, सपने ढेरों थे, पर पापा के हौसले हमेशा गगन से भी ऊँचे थे। डाँट में भी उनका अपनापन छिपा…
Read MoreMaa-Mother’s Day Special
धूप थी ज़िंदगी, वो छाँव बन गई, बिना कहे ही हर दुआ बन गई। आँखों में सपने, दिल में दवा, माँ तो बस प्यार की परिभाषा बन गई। रातों को जागे, खुद को भुलाए, हर आँसू को अपने आँचल में छुपाए। ना थकी, ना रूठी, ना कभी थमी, माँ की ममता, खुदा की कलम…
Read Moreमाँ की ममता
माँ है तो हर दर्द हल्का लगता है, उसकी गोदी में हर ग़म से भी सुकून मिलता है। वो सिखाती है हमें जीने का तरीका,…
Read MoreMaa!
माँ, वो हंसी है जो आँसुओं में समाती है, उसकी चुप्पी भी हमारी खामोशी को समझाती है। सर्द रातों में जो दिल को गर्माहट दे, वो सिर्फ माँ है, जो खुद में भगवान सा छुपा है। जब भी दुखों का साया हमारे आस-पास हो, माँ का प्यार हमेशा पास होता है। उसकी बातें…
Read Moreमोहब्बत
तेरे नाम की खुशबू से महके हैं ख्याल मेरे, तेरे बिना भी लगता है, पास हैं हाल मेरे। चाँदनी भी शर्माए, जब तूँ मुस्कुराए, तूँ जो देख ले एक बार, तो सवर जाए साल मेरे। तेरी हँसी में कुछ तो है, जो लफ़्ज़ों में नहीं, ये दिल बस तुझसे जुड़ा है, किसी और से नहीं।…
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