घर के एक कोने से

घर के एक कोने से मैं सिर्फ उनके रोने की आवाज सुन पा रही थी, उनके दर्द को सुन पा रही थी, उनके गले से लग कर उस तकलीफ को एहसास कर पा रही थी, मैं साथ उनके थी लेकिन कुछ न कर पा रही थी, ईश्वर से दुआ बस यही करती जा रही थी,…

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ज़ख्म

तूने मुझसे कुछ इस तरह किनारा किया।। मैं हूँ  ही नहीं तेरे ज़िंदगी में , ऐसा कुछ इशारा किया।। वक्त के पन्नों पर ये ज़ख्म और ज़ख्मी मुझे तूने लाख तरीकों से किया।।

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दर्द की गहराइयाँ

लिखते लिखते जाना है  दर्द की गहराइयों को पहचाना है कलम हाथों में कपकपाते हैं  जब दिल के दर्द आँखों में झलकते हैं  न हाथ थामा जाता है ना आँसू पोछे जाते हैं  क्या मतलब की दुनिया में  टूटे हुए लोगों को  अकेले ही जीना पड़ता है.. कोई पढ़े ना पढ़े  ख़ुद की क़िताब को…

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तेरे ख्यालों में

मन आज भी तेरे ख्यालों में जा भटकता है। कितना भी समझाऊं नासमझ हो बैठता है। चाहत भी मेरी बेकाबू हो जाती है। और मन मेरा बेशरमो की तरह  तुम्हें आज भी कॉल कर बैठता है। सुन के ताने कड़वी जुबान की मेरा ये मासूम दिल बैठ सा जाता है।।          …

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Alone Girl

कैसे बताऊं कैसी हुं मैं कर्ज मर्ज फर्ज से घिरी हूं मैं अपनों की भीड़ है लेकिन अकेली हूं मैं अब कोई तो रास्ता दिखाओ मालिक कुछ कर जानें को तैयार बैठी हूं मैं।।

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केदारनाथ

कुछ इस तरह मंजर नसीब हुआ केदारनाथ के दर्शन को कोई गया , साथ मेरी रुह चली गई सर्द हवाएँ उसको लगी और कपकपाने मैं लग गई दर्द उनके पैरों में और तकलीफ़ सहन मैं नहीं कर पाई देखते ही भोलेनाथ को, मुस्कान उनके चेहरे में और यहाँ खिलखिलाने मैं लग गई ।। कुछ यूँ…

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तुम बिन मर ना जाऊँ

ना जाने आंखों ने कैसे पहचाना तुझे लगता है जैसे भेजा है प्रभु ने फरिश्ता मुझे पल पल डर सा लगता है खो ना जाए तूँ ऐसा लगता है जानती हूँ कुछ ही दूर के साथी हो लेकिन तुम बिन मर ना जाऊँ ऐसा लगता है रोकूँगी नहीं बस बता के जाना जाने से पहले…

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मोहब्बत के ठिकाने से अलग

Photo by Drew Graham on Unsplash मोहब्बत के ठिकाने से अलग हमने अपना ठिकाना ढूंढ लिया।। लोग सोचते थे कि हम मर जाएंगे, किसी के दूर जाने से।। लेकिन हमने…. जीने के लिए भी, एक बहाना ढूंढ लिया।। Anjali Deshlahare

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